रायपुर. कोरोना संदिग्धों के सैपलिंग के दौरान गलत पता और मोबाइल नंबर दिए जाने की वजह से स्वास्थ्य विभाग को इन दिनों काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट पॉजिटिव या नेगेटिव आने पर उन्हीं नंबरों पर मरीज को सूचना दी जाती है। सबसे ज्यादा परेशानी पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद होती है। ऐसे लोगों से दूसरों के भी संक्रमित होने की आशंका बनी रहती है।
स्वास्थ्य विभाग के एक आला अधिकारी ने बताया कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद संक्रमित होने की जानकारी देने के लिए मोबाइल नंबर पर संपर्क किया जाता है ताकि उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जा सके। रोजाना एक दो संक्रमित मरीजों के मोबाइल नंबर गलत या बंद रहते हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम जब पते पर पहुंचती है तो संक्रमित व्यक्ति इधर-उधर घुमते हुए पाए जाते हैं। इस दरम्यान संक्रमित मरीज कई लोगों से मिल चुके होते है। कभी-कभी तो मोबाइल नंबर और पता दोनों ही गलत निकलता है। इस स्थिति में पुलिस से मदद ली जाती है।
गत दिनों भाठागांव की 65 वर्षीय एक महिला आंबेडकर अस्पताल के कोविड-19 वायरस के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती थी। वह सर्दी-खांसी, बुखार और गले में खराश से पीड़ित थी। कोरोना जांच कराने पर वह पॉजिटिव आई थी। 17 जुलाई को महिला अस्पताल प्रबंधन को बिना बताए अपने घर चली गई थी। घटना की सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम सैंपलिंग के दौरान दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल किया तो वह बंद मिला। स्वास्थ्य अमला को दिए गए पते को ढूढने में 3 से 4 घंटे लग गए। स्वास्थ्य विभाग की टीम जब पते पर पहुंची तो महिला की मृत्यु हो चुकी थी। महिला के संपर्क में आकर अब तक करीब 30 से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के काम लगे एक स्वास्थ्य कर्मचारी ने बताया कि रोजना ऐसे केस आते हैं, जिसमें किसी का मोबाइल नंबर तो किसी का पता गलत रहता है। कुछ संदिग्धों के दोनों ही गलत रहते हैं।
लापरवाही से बढ़ रहा संक्रमण
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लोगों की लापरवाही की वजह से कोरोना का संक्रमण फैल रहा है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मास्क लगाना तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य किया गया है फिरभी लोग इसकी अवहेलना कर रहे हैं। यदि किसी संदिग्ध व्यक्ति की कोरोना सैम्पलिंग हो गई है तो जब तक रिपोर्ट निगेटिव न आए, उसे तब तक घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। घर में ही आइसोलेशन के नियमों का पालन करना चाहिए। सिंपल देने के बाद यदि किसी की रिपोर्ट आने के पूर्व तबीयत खराब होती तो उसे तत्काल कंट्रोलरूम के हेल्पलाइन नंबर पर जानकारी देनी चाहिए ताकि उसे तुरंत इलाज मिल सके।
यह कहता है नियम
कोरोना संक्रमित मरीज का सैंपल लेने के बाद उसको घर या प्रशासन के बताए स्थान पर क्वारंटाइन रहना पड़ता है। रिपोर्ट आने तक वह शहर छोडकर नहीं जा सकते हैं लेकिन संदिग्ध मरीज सभी चेतावनी को हल्के में लेकर अपने गांव या दूसरे स्थान पर निकल जाते हैं। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद जब प्रशासनिक अमला उनके घर पहुंचता है, तब उनके गायब होने की जानकारी मिलती है।
सैंपलिंग के दौरान गलत पता व मोबाइल नंबर देने से ट्रेसिंग में परेशानी होती है। हालांकि, दिए गए पते पर जाने के बाद आसपास के लोगों से पूछताछ करने पर मरीज का सही पता चल जाता है। अब तक दो-चार ही ऐसे मामले आए हैं, जिसमें पुलिस की मदद ली गई है।
डॉ. मीरा बघेल, सीएमएचओ, रायपुर