केन्द्र सरकार के कृषि विधेयक बिल को लेकर पूरे देश में विवाद की स्थिति है। कांग्रेस पूरे देश में इस कानून का विरोध कर रही है। छत्तीसगढ़ के सीएम बघेल केन्द्र के इस बिल को किसी भी सूरत पर छत्तीसगढ़ में लागू नहीं होने देने की बात कह रहे हैं। छत्तीसगढ़ में इस बिल से यदि धान खरीदी व्यवस्था प्रभावित होती है तो सरकार इसकी तोड़ में नया कानून बनाएगी। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने भास्कर से चर्चा में कहा कि कृषि बिल से यदि छत्तीसगढ़ की धान खरीदी व्यवस्था प्रभावित हुई तो हम नया कानून बनाकर किसानों का धान खरीदेंगे लेकिन प्रदेश के किसी भी किसान का अहित नहीं होने देंगे। कृषि मंत्री ने कहा कि धान खरीदी कानूनी तौर पर राज्य का मामला है। यह केन्द्र के कंपनी अधिनियम में नहीं आता। इस बिल में क्या है इसे कितना लागू कर पाते हैं या नहीं यह एक वैधानिक मुद्दा है। लेकिन इस बिल के आने के बाद से व्यापारी कितना भी धान खरीदकर अपने पास रख सकता है। जमाखोरी को बढ़ावा मिलेगा। तीनों बिल में एक तरफ किसान हैं वहीं दूसरी ओर उनके सामने कार्पोरेट हाउस हैं। वहीं आवश्यक वस्तु अधिनियम में पूंजीपति और बड़े व्यापारी है। बड़े व्यापारी और पूंजीपति ही मंडी शुरु करेंगे। तीनों कानून में किसानों, उपभोक्ताओं के संरक्षण की कोई बात नहीं है। एमएसपी की काेई बात नहीं है। तीनों में किसानों को नुकसान है। भाजपा शासित राज्य के व्यापारी भी हाईकोर्ट गए हैं। जबकि पंजाब-हरियाणा के किसान भी कोर्ट जाने की तैयारी में है। चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार पिछले दो साल से 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीद रही है। सरकार की इस नीति के कारण धान उत्पादक किसानों की संख्या बढ़ी है और इस साल प्रदेश में 150 लाख मीट्रिक टन धान उत्पादन होने का अनुमान है। चौबे ने कहा कि हम छत्तीसगढ़ के पंजीकृत किसानों का पूरा धान खरीदेंगे।
कांग्रेस किसानों को बरगला रही: साय
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कृषि सुधार के विधेयकों को लेकर कांग्रेस के दुष्प्रचार को निंदनीय बताया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस को हर उस सुधार से तकलीफ हो रही है, जिससे उसकी कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार से होने वाली काली कमाई पर नकेल कसती हो। कांग्रेस झूठ की राजनीति करके ही किसानों को बरगला रही है। केंद्र ने एमएसपी खत्म करने की बात नहीं कही है।
पश्चाताप करना चाहिए: तिवारी
कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि किस मुंह से भाजपा नेता यह बात कर रहे हैं जबकि रमन सरकार के रहते हुए उन्होंने किसानों को न तो 2100 रुपए समर्थन मूल्य दिया न ही 300 रुपए का धान बोनस दिया। वोट के नाम पर किसानों से छलावा करने वाले भाजपा नेताओं को यह बताना चाहिए कि उनके शासन काल में कृषि का रकबा क्यों कम हुआ?