काबुल। दोहा स्थित तालिबान के पॉलिटिकल ऑफिस की ओर से अफगान सरकार पर शांति समझौते में देरी करने का आरोप लगाया गया है। यह शांति समझौता दशकों से देश में चल रहे युद्ध को खत्म करने के उद्देश्य से किया जाना है। लेकिन यह अफगान सरकार और आतंकियों के समूह के बीच कैदियों के अदला-बदली के शर्त पर की गई है। समझौते के तहत वार्ता के पहले अफगानिस्तान सरकार को 5,000 तालिबानी कैदियों को छोड़ना है और बदले में तालिबान भी सेना और सरकार के 1,000 स्टाफ को छोड़ेगा। इस समझौते पर 29 फरवरी को दस्तखत हुआ था।
दोहा में तालिबान ऑफिस के मुख्य सदस्य शहाबुद्दीन दिलावर (Shahabuddin Delawar) ने रविवार को बताया कि कैदियों की रिहाई को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए और वार्ता काबुल के प्रतिनिधिमंडल के साथ की जाएगी। दिलावर ने कहा,'पिछले चार महीनों से सभी हिंसक घटनाओं की जिम्मेवारी अफगान सरकार पर है क्योंकि 15 मार्च तक इसे हमारे 5000 लोगों को रिहा करना था। हम दस दिनों में हजार कैदियों को रिहा करने को तैयार थे।' ऑफिस के एक अन्य सदस्य नुरुल्लाह नूरी ने शांति समझौते के उल्लंघन के लिए अमेरिका को दोषी बताया और कहा कि तालिबान ने अफगान सेनाओं के साथ सीजफायर का ऐलान नहीं किया है। काबुल के साथ किसी तरह का सीजफायर नहीं है इसलिए चौकियों समेत अन्य जगहों पर हमले जारी रहेंगे।
वहीं राष्ट्रपति की ओर से तालिबान की निंदा की गई है और कहा है कि तालिबान शांति प्रयासों के प्रति अपने प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं कर रहा है। राष्ट्रपति के प्रवक्ता सेदिक सिद्दकी ने कहा, 'उन्होंने हमारे लोगों को रिहा नहीं किया।' अफगान सरकार को पांच हजार तालिबानियों को रिहा करना है, जबकि विद्रोहियों को एक हजार सरकारी कर्मियों को छोड़ना है। सरकार ने साढ़े तीन हजार तालिबानियों को रिहा किया है जबकि तालिबान ने करीब 700 कर्मियों को छोड़ा है।